धन निरंकार जी !
हम सन्त निरंकारी मिशन के अनुयायी हैं और हम अपने “सतगुरु“ के शुक्रगुज़ार हैं कि हमारे सतगुरु ने हमें हमारे जीवन के मूल सर्वप्रथम उद्देश्य को समझा कर (जो कि प्रभु-परमात्मा की प्राप्ति है) हमें उसका बोध कराकर और ब्रह्मज्ञान की दात बक्श कर, निरंकार प्रभु परमात्मा के दर्शन करा कर, हमारा नाता सीधे निरंकार से जोड़कर, हमारा लोक सुखी और परलोक सुहेला कर दिया और हमें इस 84 लाख योनियों के, आवागमन के चक्करों से मुक्त कराया. आज के समय के रहबर सन्त निरंकारी मिशन के वर्तमान “सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज” हमारे सतगुरु हैं. हम धन्य हैं कि ऐसा सतगुरु हमें मिला. इसलिए तो यह कहा भी गया है कि
“सतगुरु आउंदा दुनिया उत्ते, सारे ही संसार लई”
अर्थात हमारे अपने सतगुरु के लाख-लाख शुक्रगुजार हैं कि हमारे सतगुरु ने हमारे जीवन को सफल बनाया.
तू ही निरंकार
मैं तेरी शरण हां
मैंनू बक्श लो
हमें अपने सतगुरु पर मान है जो आज मानव को मानव से प्यार करना सिखा रहा है और मानवता (इन्सानियत) का सन्देश दे रहा है साथ ही साथ, सम्पूर्ण विश्व को आपसी-भाईचारे और विशव-बन्धुत्व का सन्देश दे रहा है.
धन्य हैं हमारे सतगुरु जी !
“सतगुरु माता सुदीक्षा सविन्दर हरदेव जी महाराज की जय” !