Sant Nirankari Mission History | सन्त निरंकारी मिशन का संक्षिप्त इतिहास

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Sant Nirankari Mission History सन्त निरंकारी मिशन का संक्षिप्त इतिहास

Sant Nirankari Mission History सन्त निरंकारी मिशन की स्थापना 1929 में पेशावर (वर्तमान पाकिस्तान) में हुई थी, जहां सत्गुरु बाबा बूटा सिंह जी ने ब्रह्मज्ञान की दात देकर जिज्ञासुओं को इस निरंकार परमात्मा से साक्षात्कार कराया। उनके समर्पित शिष्य भाई साहब अवतार सिंह जी ने इस परमार्थ के कार्य में पूर्ण सहयोग दिया। सत्य का प्रकाश विश्व के अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सके, इसके लिए निरंकार में लीन होने से पूर्व, 1943 में बाबा बूटा सिंह जी ने भाई साहब अवतार सिंह जी को मिशन का उत्तराधिकारी घोषित किया ।

वर्ष 1947 में देश के विभाजन के बाद बाबा अवतार सिंह जी दिल्ली (भारत) आ गए। वर्ष 1962 में बाबा अवतार सिंह जी ने मिशन की बागडोर बाबा गुरबचन सिंह जी को सौंप दी और स्वयं गुरसिख बन कर एक अनूठी मिसाल कायम की। न केवल भारत में, बल्कि कई अन्य देशों में भी बाबा गुरबचन सिंह जी ने सत्य के संदेश को फैलाने में दिन रात एक कर दिया और इस मार्ग में आई सभी बाधाओं का भी सामना किया। Sant Nirankari Mission History

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24 अप्रैल, 1980 को अंतिम स्वास लेने से पूर्व बाबा गुरबचन सिंह जी ने बाबा हरदेव सिंह जी को मिशन Sant Nirankari Mission की बागडोर सौंपी। बाबा हरदेव सिंह जी ने ईश्वरानुभूति द्वारा आत्मानुभूति मानव जीवन के परम लक्ष्य के प्रति सम्पूर्ण मानव जाति को जागृत करने के लिए 36 वर्षों तक अनथक कार्य किया। इसी उद्देश्य से उन्होंने सम्पूर्ण भारत सहित अनेक देशों में कल्याण यात्राएं की।

13 मई, 2016 को मॉन्ट्रियल (कनाडा) में उन्होंने अपना नश्वर शरीर त्याग दिया। तत्पश्चात् सत्गुरु माता सविन्दर हरदेव जी ने सन्त निरंकारी मिशन की बागडोर सम्भाली। वे पूर्व से ही बाबा हरदेव सिंह जी की जीवन संगिनी के रूप में 36 वर्षों से मानव जाति की सेवा कर रहे थे। अपने निरन्तर बिगड़ते स्वास्थ्य के बावजूद रोशन मीनार की भांति सत्गुरु माता सविन्दर हरदेव जी ने दो वर्षों से अधिक समय तक दुनिया में मिशन के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य किया। अपने निरन्तर बिगड़ते हुए स्वास्थ्य को देखते हुए उन्होंने जुलाई 2018 में बहन सुदीक्षा जी को सन्त निरंकारी मिशन की बागडोर सौंपने की घोषणा की।

तत्पश्चात सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज, मानव मात्र में विद्यमान आध्यात्मिक शक्ति को जगाने की दिशा में अपने जीवन का हर पल समर्पित कर रहे हैं। सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने ‘निरंकारी यूथ फोरम’ को नया रूप दिया, जिसमें युवाओं पर विशेष ध्यान दिया गया ताकि युवाओं के जोश का बुजुर्गों के होश के साथ भरपूर उपयोग किया जा सके। वैश्विक कोरोना महामारी के इस समय में भी मानवता को मजबूती प्रदान करने के लिए, सतगुरु माता जी व्यावहारिक आध्यात्मिकता को अपनाकर जीवन जीने का ढंग सिखा रहे हैं।

8 thoughts on “Sant Nirankari Mission History | सन्त निरंकारी मिशन का संक्षिप्त इतिहास”

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